जिस प्रकार दूसरों के साथ यात्रा करने वाला व्यक्ति सुरक्षित घर पहुंच जाता है, किन्तु जो व्यक्ति उनसे अलग हो जाता है, उसे डाकू लूट लेते हैं और मार देते हैं।
जिस प्रकार बाड़ लगे खेत को मनुष्य और पशु नहीं छू सकते, उसी प्रकार बिना बाड़ वाले खेत को राहगीर और पशु नष्ट कर देते हैं।
जैसे एक तोता पिंजरे में बंद होने पर राम राम चिल्लाता है लेकिन जैसे ही वह पिंजरे से बाहर निकलता है, बिल्ली उस पर झपट पड़ती है और उसे खा जाती है।
इसी प्रकार मनुष्य का मन भी ईश्वर रूपी सच्चे गुरु से जुड़कर उच्च आध्यात्मिक स्थिति प्राप्त करता है, किन्तु सच्चे गुरु से विमुख होने पर वह भटकता रहता है तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार नामक पाँच विकारों द्वारा नष्ट हो जाता है।