जिस दिन सर्वज्ञ भगवान प्रसन्न हुए और सेवा करने का आदेश दिया, उस शुभ दिन करोड़ों सांसारिक ज्ञान, ध्यान, योग तुच्छ हो गए।
जिस दिन मुझे ब्रह्माण्ड के स्वामी भगवान के लिए जल भरने का कार्य मिला, उस धन्य दिन की तुलना करोड़ों राज्यों के सुख भी नहीं कर सकते।
जिस दिन मुझे जगत और समस्त जीवों के स्वामी भगवान की चक्की पीसने का कार्य मिला, उसी दिन अध्यात्म के चार बहुप्रतीक्षित और वांछित तत्व सेवकों के दास बन गए।
जो प्रेम में डूबी हुई प्रेयसी जल छिड़कने, चक्की पीसने और जल भरने का कार्य करती है, उसकी स्तुति, सुख और शान्ति वर्णन से परे है। (६५६)