कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 388


ਕੋਇਲਾ ਸੀਤਲ ਕਰ ਕਰਤ ਸਿਆਮ ਗਹੇ ਪਰਸ ਤਪਤ ਪਰਦਗਧ ਕਰਤ ਹੈ ।
कोइला सीतल कर करत सिआम गहे परस तपत परदगध करत है ।

जले हुए कोयले को हाथ में पकड़ने पर वह काला पड़ जाता है, लेकिन जलते हुए कोयले को हाथ में पकड़ने पर जलन होती है। (कोयला ठंडा होने पर या जलते हुए, दोनों ही स्थितियों में समस्या पैदा करता है)

ਕੂਕਰ ਕੇ ਚਾਟਤ ਕਲੇਵਰਹਿ ਲਾਗੈ ਛੋਤਿ ਕਾਟਤ ਸਰੀਰ ਪੀਰ ਧੀਰ ਨ ਧਰਤ ਹੈ ।
कूकर के चाटत कलेवरहि लागै छोति काटत सरीर पीर धीर न धरत है ।

जैसे कुत्ते की चाट संक्रामक होती है और काटने पर असहनीय दर्द होता है। (कुत्तों का चाटना और काटना दोनों ही कष्टकारी हैं)।

ਫੂਟਤ ਜਿਉ ਗਾਗਰਿ ਪਰਤ ਹੀ ਪਖਾਨ ਪਰਿ ਪਾਹਨ ਪਰਤਿ ਪੁਨਿ ਗਾਗਰਿ ਹਰਤ ਹੈ ।
फूटत जिउ गागरि परत ही पखान परि पाहन परति पुनि गागरि हरत है ।

जैसे घड़ा पत्थर पर गिरने से टूट जाता है, वैसे ही पत्थर पर गिरने से भी टूट जाता है। (पत्थर घड़े को हर प्रकार से नष्ट करने वाला होता है)।

ਤੈਸੇ ਹੀ ਅਸਾਧ ਸੰਗਿ ਪ੍ਰੀਤ ਹੂ ਬਿਰੋਧ ਬੁਰੋ ਲੋਕ ਪਰਲੋਕ ਦੁਖ ਦੋਖ ਨ ਟਰਤ ਹੈ ।੩੮੮।
तैसे ही असाध संगि प्रीत हू बिरोध बुरो लोक परलोक दुख दोख न टरत है ।३८८।

इसी प्रकार दुष्ट व्यक्तियों के साथ प्रेमपूर्ण सम्बन्ध बनाना भी बुरा है। उनसे प्रेम करना या उनसे असहमति प्रकट करना भी उतना ही बुरा है। इस प्रकार मनुष्य इस लोक और परलोक के दुःखों और पीड़ाओं से बच नहीं सकता। (388)