जिस प्रकार अनेक कुंवारी कन्याएं एकत्रित होकर एक दूसरे के साथ खेलती हैं, किन्तु उन सबका विवाह एक ही दिन नहीं होता।
जिस प्रकार अनेक योद्धा पूरी तरह से सशस्त्र होकर तथा कवच से सुरक्षित होकर युद्ध के मैदान में जाते हैं, वे युद्ध के मैदान में नहीं मरते।
जिस प्रकार चंदन के पेड़ों के चारों ओर अनेक पेड़-पौधे होते हैं, परंतु सभी एक साथ चंदन की सुगंध से संपन्न नहीं होते।
इसी प्रकार सारा संसार सच्चे गुरु की शरण में चला जाए, परन्तु मोक्ष की प्राप्ति केवल उसी को होती है, जो गुरु को प्रिय हो। (वह शिष्य जो श्रद्धा और भक्ति से गुरु की सेवा करता है) (417)