कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 609


ਜੈਸੇ ਤਿਲ ਬਾਸ ਬਾਸ ਲੀਜੀਅਤ ਕੁਸਮ ਤੇ ਤਾਂ ਤੇ ਹੋਤ ਹੈ ਫੁਲੇਲ ਜਤਨ ਕੈ ਜਾਨੀਐ ।
जैसे तिल बास बास लीजीअत कुसम ते तां ते होत है फुलेल जतन कै जानीऐ ।

जैसे फूलों से इत्र निकालकर उसे तिल के तेल में मिलाया जाता है और फिर थोड़े प्रयास से सुगंधित तेल तैयार हो जाता है।

ਜੈਸੇ ਤੌ ਅਉਟਾਇ ਦੂਧ ਜਾਮਨ ਜਮਾਇ ਮਥ ਸੰਜਮ ਸਹਤ ਘ੍ਰਿਤ ਪ੍ਰਗਟਾਇ ਮਾਨੀਐ ।
जैसे तौ अउटाइ दूध जामन जमाइ मथ संजम सहत घ्रित प्रगटाइ मानीऐ ।

जैसे दूध को उबालकर ठंडा किया जाता है और उसमें थोड़ी मात्रा में कोएगुलेंट मिलाया जाता है ताकि दही बन जाए। इस दही को मथकर मक्खन बनाया जाता है। फिर मक्खन को घी में बदल दिया जाता है।

ਜੈਸੇ ਕੂਆ ਖੋਦ ਕਰਿ ਬਸੁਧਾ ਧਸਾਇ ਕੋਠੀ ਲਾਜ ਕਉ ਬਹਾਇ ਡੋਲ ਕਾਢਿ ਜਲ ਆਨੀਐ ।
जैसे कूआ खोद करि बसुधा धसाइ कोठी लाज कउ बहाइ डोल काढि जल आनीऐ ।

जैसे कुआं खोदने के लिए मिट्टी खोदी जाती है और फिर कुएं के आकार का एक ढांचा अंदर धकेल दिया जाता है, जहां से एक लंबी रस्सी से बंधी बाल्टी का उपयोग पानी खींचने के लिए किया जाता है।

ਗੁਰ ਉਪਦੇਸ ਤੈਸੇ ਭਾਵਨੀ ਭਕਤ ਭਾਇ ਘਟ ਘਟ ਪੂਰਨ ਬ੍ਰਹਮ ਪਹਿਚਾਨੀਐ ।੬੦੯।
गुर उपदेस तैसे भावनी भकत भाइ घट घट पूरन ब्रहम पहिचानीऐ ।६०९।

इसी प्रकार यदि सच्चे गुरु के उपदेश का प्रत्येक श्वास में भक्तिपूर्वक तथा प्रेमपूर्वक पालन किया जाए, तो पूर्ण प्रभु प्रत्येक व्यक्ति तथा प्रत्येक रूप में अपनी महिमा के साथ विद्यमान हो जाते हैं। (609)