मेंढक और कमल का फूल, बांस और चंदन का पेड़, बगुला और हंस, साधारण पत्थर और पारस पत्थर, अमृत और विष एक साथ आ सकते हैं, फिर भी एक दूसरे के गुण नहीं अपना सकते।
हिरण की नाभि में कस्तूरी होती है, नाग के फन में मोती होता है, मधुमक्खी शहद के साथ रहती है, बांझ स्त्री अपने पति से प्रेमपूर्वक मिलती है, परन्तु सब व्यर्थ।
जैसे उल्लू के लिए सूर्य का प्रकाश, जंगली जड़ी-बूटी के लिए वर्षा तथा रोगी के लिए वस्त्र और भोजन रोग के समान हैं।
इसी प्रकार कलुषित और दुर्गुणों से ग्रसित हृदय में गुरु के उपदेशों और शिक्षाओं के बीज नहीं उग पाते। वह अंकुरित ही नहीं हो पाता। ऐसा व्यक्ति अपने ईश्वर से अलग रहता है। (299)