अनेक फलदार वृक्ष तथा उन पर चढ़ी हुई लताएँ घनी छाया प्रदान करती हैं। वे सभी राहगीरों को सुख प्रदान करती हैं। किन्तु आपस में रगड़ खाने वाला बाँस अग्नि द्वारा स्वयं भी नष्ट हो जाता है तथा उसके निकट रहने वाले अन्य लोगों के लिए भी विनाश का कारण बनता है।
अन्य सभी फलदार वृक्ष झुक जाते हैं, किन्तु बांस का वृक्ष अपनी प्रशंसा में मदमस्त होकर गर्व करता रहता है।
सभी फलदार वृक्ष मन से शांत रहते हैं और स्वभाव से मौन रहते हैं। वे कोई आवाज़ नहीं करते। लेकिन लंबा बांस अंदर से खोखला और गांठदार होता है। वह रोता है और शोर मचाता है।
जो सच्चे गुरु जैसे चंदन के समीप रहकर भी अभिमानी और कपटी रहता है (सुगंधहीन रहता है) और गुरु की बुद्धि प्राप्त नहीं करता, ऐसा जो गुरु के शिष्यों का बुरा चाहता है, वह कभी भी भवसागर से पार नहीं हो सकता॥