जिस प्रकार एक पक्षी ऊंची उड़ान भरकर दूर-दूर तक उड़ता रहता है, लेकिन एक बार उसे जाल में फंसाकर पिंजरे में डाल दिया जाए तो वह फिर उड़ नहीं सकता।
जिस प्रकार एक चंचल हाथी घने जंगल में उत्तेजित होकर घूमता है, उसी प्रकार एक बार पकड़ लिए जाने पर वह अंकुश के भय से वश में हो जाता है।
जिस प्रकार गहरे और घुमावदार बिल में रहने वाले सांप को सपेरे रहस्यमयी मंत्रों से पकड़ लेते हैं।
इसी प्रकार तीनों लोकों में भटकने वाला मन भी सच्चे गुरु के उपदेश और उपदेश से शांत और स्थिर हो जाता है। सच्चे गुरु से प्राप्त नाम का ध्यान करने से उसका भटकना समाप्त हो जाता है। (231)