कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 366


ਜੈਸੇ ਤਉ ਸਫਲ ਬਨ ਬਿਖੈ ਬਿਰਖ ਬਿਬਿਧਿ ਜਾ ਕੋ ਫਲੁ ਮੀਠੋ ਖਗ ਤਾਪੋ ਚਲਿ ਜਾਤਿ ਹੈ ।
जैसे तउ सफल बन बिखै बिरख बिबिधि जा को फलु मीठो खग तापो चलि जाति है ।

जैसे एक फल के बगीचे में अनेक प्रकार के फलदार वृक्ष होते हैं, परन्तु पक्षी केवल उसी वृक्ष की ओर उड़ते हैं जिसमें मीठे फल होते हैं।

ਜੈਸੇ ਪਰਬਤ ਬਿਖੈ ਦੇਖੀਐ ਪਾਖਾਨ ਬਹੁ ਜਾ ਮੈ ਤੋ ਹੀਰਾ ਖੋਜੀ ਖੋਜ ਖਨਵਾਰਾ ਲਲਚਾਤ ਹੈ ।
जैसे परबत बिखै देखीऐ पाखान बहु जा मै तो हीरा खोजी खोज खनवारा ललचात है ।

पहाड़ों में अनेक प्रकार के पत्थर उपलब्ध हैं, लेकिन हीरे की तलाश में व्यक्ति उस पत्थर को देखने के लिए लालायित रहता है, जिससे उसे हीरा मिल सके।

ਜੈਸੇ ਤਉ ਜਲਧਿ ਮਧਿ ਬਸਤ ਅਨੰਤ ਜੰਤ ਮੁਕਤਾ ਅਮੋਲ ਜਾਮੈ ਹੰਸ ਖੋਜ ਖਾਤ ਹੈ ।
जैसे तउ जलधि मधि बसत अनंत जंत मुकता अमोल जामै हंस खोज खात है ।

जिस प्रकार एक झील में अनेक प्रकार के जलीय जीव रहते हैं, लेकिन हंस केवल उसी झील में जाता है जिसके सीप में मोती हों।

ਤੈਸੇ ਗੁਰ ਚਰਨ ਸਰਨਿ ਹੈ ਅਸੰਖ ਸਿਖ ਜਾ ਮੈ ਗੁਰ ਗਿਆਨ ਤਾਹਿ ਲੋਕ ਲਪਟਾਤ ਹੈ ।੩੬੬।
तैसे गुर चरन सरनि है असंख सिख जा मै गुर गिआन ताहि लोक लपटात है ।३६६।

इसी प्रकार अनेक सिख सच्चे गुरु की शरण में रहते हैं, परन्तु जिसके हृदय में गुरु का ज्ञान रहता है, लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं। (366)