जिस प्रकार पारे को सोने के साथ छूने पर उसका असली रंग छिप जाता है, लेकिन जब उसे कुठार में डाला जाता है तो उसकी चमक वापस आ जाती है, जबकि पारा वाष्पित हो जाता है।
जैसे कपड़े गंदगी और धूल से गंदे हो जाते हैं लेकिन साबुन और पानी से धोने पर पुनः स्वच्छ हो जाते हैं।
जिस प्रकार सांप के काटने से पूरे शरीर में जहर फैल जाता है, लेकिन गरुड़ मंत्र के जाप से सभी बुरे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।
इसी प्रकार सच्चे गुरु के वचन सुनने और उस पर ध्यान करने से सांसारिक विकार और आसक्ति के सभी प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। (सांसारिक वस्तुओं (माया) का सारा प्रभाव समाप्त हो जाता है।) (557)