कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 557


ਜੈਸੇ ਤੌ ਕੰਚਨੈ ਪਾਰੋ ਪਰਸਤ ਸੋਖ ਲੇਤ ਅਗਨਿ ਮੈ ਡਾਰੇ ਪੁਨ ਪਾਰੋ ਉਡ ਜਾਤ ਹੈ ।
जैसे तौ कंचनै पारो परसत सोख लेत अगनि मै डारे पुन पारो उड जात है ।

जिस प्रकार पारे को सोने के साथ छूने पर उसका असली रंग छिप जाता है, लेकिन जब उसे कुठार में डाला जाता है तो उसकी चमक वापस आ जाती है, जबकि पारा वाष्पित हो जाता है।

ਜੈਸੇ ਮਲ ਮੂਤ੍ਰ ਲਗ ਅੰਬਰ ਮਲੀਨ ਹੋਤ ਸਾਬਨ ਸਲਿਲ ਮਿਲਿ ਨਿਰਮਲ ਗਾਤ ਹੈ ।
जैसे मल मूत्र लग अंबर मलीन होत साबन सलिल मिलि निरमल गात है ।

जैसे कपड़े गंदगी और धूल से गंदे हो जाते हैं लेकिन साबुन और पानी से धोने पर पुनः स्वच्छ हो जाते हैं।

ਜੈਸੇ ਅਹਿ ਗ੍ਰਸੇ ਬਿਖ ਬ੍ਯਾਪਤ ਸਗਲ ਅੰਗ ਮੰਤ੍ਰ ਕੈ ਬਿਖੈ ਬਿਕਾਰ ਸਭ ਸੁ ਬਿਲਾਤ ਹੈ ।
जैसे अहि ग्रसे बिख ब्यापत सगल अंग मंत्र कै बिखै बिकार सभ सु बिलात है ।

जिस प्रकार सांप के काटने से पूरे शरीर में जहर फैल जाता है, लेकिन गरुड़ मंत्र के जाप से सभी बुरे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।

ਤੈਸੇ ਮਾਯਾ ਮੋਹ ਕੈ ਬਿਮੋਹਤ ਮਗਨ ਮਨ ਗੁਰ ਉਪਦੇਸ ਮਾਯਾ ਮੂਲ ਮੁਰਝਾਤ ਹੈ ।੫੫੭।
तैसे माया मोह कै बिमोहत मगन मन गुर उपदेस माया मूल मुरझात है ।५५७।

इसी प्रकार सच्चे गुरु के वचन सुनने और उस पर ध्यान करने से सांसारिक विकार और आसक्ति के सभी प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। (सांसारिक वस्तुओं (माया) का सारा प्रभाव समाप्त हो जाता है।) (557)