कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 332


ਮਾਨਸਰ ਪਰ ਜਉ ਬੈਠਾਈਐ ਲੇ ਜਾਇ ਬਗ ਮੁਕਤਾ ਅਮੋਲ ਤਜਿ ਮੀਠ ਬੀਨਿ ਖਾਤ ਹੈ ।
मानसर पर जउ बैठाईऐ ले जाइ बग मुकता अमोल तजि मीठ बीनि खात है ।

यदि किसी बगुले को मानसरोवर झील पर ले जाया जाए तो वह अमूल्य मोतियों के स्थान पर केवल छोटी-छोटी मछलियाँ ही उठाएगा।

ਅਸਥਨ ਪਾਨ ਕਰਬੇ ਕਉ ਜਉ ਲਗਾਈਐ ਜੋਕ ਪੀਅਤ ਨ ਪੈ ਲੈ ਲੋਹੂ ਅਚਏ ਅਘਾਤ ਹੈ ।
असथन पान करबे कउ जउ लगाईऐ जोक पीअत न पै लै लोहू अचए अघात है ।

यदि गाय के थनों में जोंक डाल दी जाए तो वह दूध नहीं पीएगी बल्कि अपनी भूख मिटाने के लिए खून चूसेगी।

ਪਰਮ ਸੁਗੰਧ ਪਰਿ ਮਾਖੀ ਨ ਰਹਤ ਰਾਖੀ ਮਹਾ ਦੁਰਗੰਧ ਪਰਿ ਬੇਗਿ ਚਲਿ ਜਾਤ ਹੈ ।
परम सुगंध परि माखी न रहत राखी महा दुरगंध परि बेगि चलि जात है ।

जब कोई मक्खी किसी सुगंधित वस्तु पर बैठ जाती है तो वह वहां नहीं बैठती बल्कि तेजी से वहां पहुंच जाती है जहां गंदगी और बदबू होती है।

ਜੈਸੇ ਗਜ ਮਜਨ ਕੇ ਡਾਰਤ ਹੈ ਛਾਰੁ ਸਿਰਿ ਸੰਤਨ ਕੈ ਦੋਖੀ ਸੰਤ ਸੰਗੁ ਨ ਸੁਹਾਤ ਹੈ ।੩੩੨।
जैसे गज मजन के डारत है छारु सिरि संतन कै दोखी संत संगु न सुहात है ।३३२।

जैसे हाथी स्वच्छ जल में स्नान करके अपने सिर पर धूल छिड़कता है, वैसे ही साधु पुरुषों की निन्दा करने वाले लोग सच्चे और सज्जन पुरुषों की संगति को पसंद नहीं करते। (332)