किसी रत्न की वास्तविकता की जांच केवल उस व्यापार का कोई पारखी ही कर सकता है। इसी प्रकार गुरु का एक सजग और चौकस सिख सच्चे गुरु की दुकान पर नाम जैसे रत्न की खरीद करता है।
जो व्यक्ति हीरे, मोती, माणिक और बहुमूल्य रत्नों के व्यापार में सच्ची रूचि रखता है, वही इससे अधिकतम लाभ कमाता है। इसी प्रकार गुरु के सच्चे भक्त और शिष्य सच्चे नाम की वस्तु का व्यापार करके अपना जीवन लाभदायक बनाते हैं।
मन को ईश्वरीय शब्द में लीन करके तथा नाम और शब्द के व्यापार से, सच्चा गुरु अपने शिष्य को प्रेम के खजाने से आशीर्वाद देता है।
जब सच्चा सेवक सच्चे गुरु से मिलता है; जब वह गुरु की प्रेमपूर्ण और समर्पित संगति में शामिल होता है, तो ऐसा शिष्य जो हमेशा गुरु की सेवा में रहता है, माया से दूर और निष्कलंक रहता है। वह बिना किसी दण्ड के संसार सागर से पार हो जाता है।