यदि कोई सर्प के भय से गरुड़ की शरण ले और फिर भी सर्प आकर डस ले, तो फिर कैसे बचेगा?
सियार के डर से यदि कोई सिंह की शरण ले ले तो यदि सियार आकर मार डाले तो क्या किया जा सकता है ?
यदि कोई व्यक्ति दरिद्रता से व्यथित होकर सोने की खान, सुमेर पर्वत या हीरों के भण्डार वाले समुद्र में जाकर शरण ले ले और फिर भी वह दरिद्रता से व्यथित रहे तो इसमें किसे दोष दिया जाए?
भटकन और कर्मों के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए मनुष्य सच्चे गुरु का आश्रय लेता है और यदि तब भी कर्मों का चक्र समाप्त न हो तो फिर किसकी शरण ली जाए? (545)