जैसे पेड़ की जड़ों और तने को पानी देने से उसके सभी पत्ते और शाखाएं हरी हो जाती हैं।
जिस प्रकार एक पतिव्रता, सत्यनिष्ठ, सदाचारिणी पत्नी अपने पति की सेवा में तत्पर रहती है, सारा परिवार उसकी बहुत प्रसन्नतापूर्वक प्रशंसा करता है, उसका आदर करता है।
जैसे मिठाई खाने से मुख तृप्त और बलवान हो जाता है, वैसे ही शरीर के सभी अंग तृप्त और बलवान हो जाते हैं।
इसी प्रकार गुरु का जो आज्ञाकारी शिष्य अन्य देवी-देवताओं की अपेक्षा अपने गुरु की आज्ञा का पालन करने में सदैव तत्पर रहता है, उसकी सभी देवता और सभी लोग प्रशंसा करते हैं तथा उसे धन्य कहते हैं। परन्तु ऐसा गुरु का आज्ञाकारी और निष्ठावान शिष्य बहुत ही दुष्ट होता है।