कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 356


ਜੈਸੇ ਕਰ ਗਹਤ ਸਰਪ ਸੁਤ ਪੇਖਿ ਮਾਤਾ ਕਹੈ ਨ ਪੁਕਾਰ ਫੁਸਲਾਇ ਉਰ ਮੰਡ ਹੈ ।
जैसे कर गहत सरप सुत पेखि माता कहै न पुकार फुसलाइ उर मंड है ।

जैसे अपने बेटे के हाथ में साँप देखकर माँ चिल्लाती नहीं बल्कि बहुत शांति से उसे अपने पास बुलाती है।

ਜੈਸੇ ਬੇਦ ਰੋਗੀ ਪ੍ਰਤਿ ਕਹੈ ਨ ਬਿਥਾਰ ਬ੍ਰਿਥਾ ਸੰਜਮ ਕੈ ਅਉਖਦ ਖਵਾਇ ਰੋਗ ਡੰਡ ਹੈ ।
जैसे बेद रोगी प्रति कहै न बिथार ब्रिथा संजम कै अउखद खवाइ रोग डंड है ।

जिस प्रकार एक चिकित्सक रोगी को उसकी बीमारी के बारे में विस्तार से नहीं बताता, बल्कि उसे सख्त एहतियात के साथ दवा देकर उसे स्वस्थ कर देता है।

ਜੈਸੇ ਭੂਲਿ ਚੂਕਿ ਚਟੀਆ ਕੀ ਨ ਬੀਚਾਰੈ ਪਾਧਾ ਕਹਿ ਕਹਿ ਸੀਖਿਆ ਮੂਰਖਤ ਮਤਿ ਖੰਡ ਹੈ ।
जैसे भूलि चूकि चटीआ की न बीचारै पाधा कहि कहि सीखिआ मूरखत मति खंड है ।

जिस प्रकार शिक्षक अपने विद्यार्थी की गलती को दिल पर नहीं लेता, बल्कि उसे आवश्यक शिक्षा देकर उसकी अज्ञानता को दूर करता है।

ਤੈਸੇ ਪੇਖਿ ਅਉਗੁਨ ਕਹੈ ਨ ਸਤਿਗੁਰ ਕਾਹੂ ਪੂਰਨ ਬਿਬੇਕ ਸਮਝਾਵਤ ਪ੍ਰਚੰਡ ਹੈ ।੩੫੬।
तैसे पेखि अउगुन कहै न सतिगुर काहू पूरन बिबेक समझावत प्रचंड है ।३५६।

इसी प्रकार सद्गुरु भी दुर्गुणग्रस्त शिष्य से कुछ नहीं कहते, बल्कि उसे सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करते हैं, उसे समझाते हैं और उसे कुशाग्र बुद्धि वाला बुद्धिमान व्यक्ति बना देते हैं। (356)