सोरथ:
गुरु नानक देव का शाश्वत प्रकाश गुरु अंगद देव के प्रकाश में मिल गया, जिससे उन्हें गुरु अंगद देव जैसा तेज प्राप्त हुआ।
गुरु नानक देव जी का प्रकाश गुरु अंगद देव जी के प्रकाश में विलीन होने से उनका स्वरूप अद्भुत हो गया तथा उनकी प्रशंसा शब्दों से परे हो गई।
दोहरा:
सर्वोच्च प्रकाश (गुरु नानक देव जी) गुरु अंगद देव के प्रकाश में विलीन हो गया, जो स्वयं दिव्य प्रकाश बन गए।
गुरु नानक का सत्य गुरु अंगद के सार के साथ मिलकर उन्हें अद्भुत रूप में परिवर्तित कर दिया।
चंट:
गुरु अंगद, गुरु नानक देव के संपर्क में आकर स्वयं भी पारस पत्थर बन गए। उनका रूप भी अद्भुत हो गया।
गुरु नानक से अभिन्न होकर, लहना जी गुरु अंगद बन गए और फिर जो भी उनके (गुरु अंगद) संपर्क में आया, वह मुक्त हो गया।
गुरु अंगद जी ने स्वयं को भगवान की दिव्य शक्ति के स्वामी गुरु नानक के साथ ताने-बाने की तरह एकीकृत कर लिया।
प्रकाश प्रकाश में इतना विलीन हो गया कि जो भी प्रकाश स्वरूप (गुरु अंगद) के संपर्क में आया, वह भी दैदीप्यमान हो गया। (3)