जैसे शकुन-अपशकुन में विश्वास करने वाला व्यक्ति गधे के रेंकने को शुभ शकुन मानता है, परन्तु गधे के अच्छे-बुरे गुणों पर ध्यान नहीं देता।
जिस प्रकार घण्डा हेहरा के संगीत से आकर्षित होकर हिरण अपने उद्गम की ओर दौड़ता है और शिकारी के बाण से मारा जाता है, परन्तु वह अपने मारक गुणों पर विचार नहीं करता।
जैसे युद्ध योद्धा युद्ध के नगाड़ों की ध्वनि सुनकर उत्साह से भरकर युद्धभूमि में भागता है, परन्तु वह नगाड़े बजाने वाले का रूप या रंग अपने मन में नहीं लाता।
इसी प्रकार मैं भी अंदर-बाहर से अलग एक धोखेबाज हूं जो भोले-भाले सिखों को गुरु के पवित्र भजन गाकर ठगता हूं। लेकिन गुरबाणी की मधुरता से मोहित और बहुत उदार स्वभाव वाले वे सिख मुझे जानते हुए भी डांटते तक नहीं।