सच्चे गुरु के साथ देवी-देवताओं की सेवा और पूजा करना रात और दिन के बीच का अंतर है।
रात्रि के अन्धकार (अज्ञान) में तो तारों (देवताओं) का तेज बहुत होता है, परन्तु सद्गुरु के ज्ञान के तेज के प्रकट होने पर (दिन में सूर्य के उदय होने पर) एकमात्र ईश्वर प्रत्यक्ष हो जाता है।
दुष्ट और दुष्ट लोग बुरे और दुष्ट कार्यों में आसक्त रहते हैं, लेकिन सच्चे गुरु के ज्ञान से, समर्पित सिख अमृत समय में भगवान के नाम का चिंतन करते हैं और उनके साथ एक हो जाते हैं।
रात्रि में जब सोने का समय होता है, तब विश्वासघाती, धोखेबाज और दुष्ट लोगों की दुष्टता प्रबल हो जाती है। परन्तु अमृत बेला (सच्चे गुरु के ज्ञान की चमक) के समय भोर होते ही प्रभु का धर्म और न्याय प्रबल हो जाता है।