जैसे किसी घर में बेटी पैदा होने पर उसकी शादी में बहुत दहेज दिया जाता है और जब उसके बेटों की शादी होती है तो ससुराल से बहुत दहेज मिलता है;
जिस प्रकार कोई व्यक्ति व्यवसाय शुरू करते समय और फिर लाभ कमाने के लिए अपनी जेब से पैसा खर्च करता है, उसी प्रकार उसे बढ़ी हुई कीमत मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए;
जिस प्रकार गाय को प्रेम और देखभाल के साथ पाला जाता है, उसे चारा और अन्य चीजें दी जाती हैं जो मनुष्य नहीं खाते, तथा वह दूध देती है जिसे पिया जाता है।
इसी प्रकार सच्चे गुरु की शरण में आकर मनुष्य अपना सर्वस्व (तन, मन, धन) उनको समर्पित कर देता है। फिर सच्चे गुरु से नाम का जाप प्राप्त करके मनुष्य मोक्ष को प्राप्त कर लेता है तथा बार-बार जन्म-मरण से छूट जाता है। (584)