जिस प्रकार एक चींटी फल तक पहुंचने के लिए पेड़ पर बहुत धीरे-धीरे रेंगती है, वहीं एक पक्षी उड़कर तुरंत उस तक पहुंच जाता है।
जिस प्रकार रास्ते की खाइयों में चलती हुई बैलगाड़ी धीरे-धीरे अपने गंतव्य तक पहुंचती है, किन्तु रास्ते के दोनों ओर चलने वाला घोड़ा तेजी से चलता हुआ शीघ्र ही गंतव्य तक पहुंच जाता है।
जिस प्रकार कोई व्यक्ति कुछ सेकण्ड में एक मील भी तय नहीं कर सकता, परन्तु हमारा मन एक ही सेकण्ड में चारों दिशाओं में घूम जाता है।
इसी प्रकार वेदों और सांसारिक विषयों का ज्ञान तर्क-वितर्क और विचार-विनिमय पर आधारित है। यह तरीका चींटी की चाल के समान है। लेकिन सच्चे गुरु की शरण में जाने से मनुष्य कुछ ही समय में भगवान के अचूक और स्थिर स्थानों पर पहुंच जाता है।