कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 342


ਰਚਨਾ ਚਰਿਤ੍ਰ ਚਿਤ੍ਰ ਬਿਸਮ ਬਚਿਤ੍ਰਪਨ ਕਾਹੂ ਸੋ ਨ ਕੋਊ ਕੀਨੇ ਏਕ ਹੀ ਅਨੇਕ ਹੈ ।
रचना चरित्र चित्र बिसम बचित्रपन काहू सो न कोऊ कीने एक ही अनेक है ।

उनकी रचना का चमत्कार अद्भुत और विस्मयकारी है। किसी भी मनुष्य को दूसरे जैसा नहीं बनाया गया है। फिर भी उनका प्रकाश सभी में व्याप्त है।

ਨਿਪਟ ਕਪਟ ਘਟ ਘਟ ਨਟ ਵਟ ਨਟ ਗੁਪਤ ਪ੍ਰਗਟ ਅਟਪਟ ਜਾਵਦੇਕ ਹੈ ।
निपट कपट घट घट नट वट नट गुपत प्रगट अटपट जावदेक है ।

यह संसार माया है। परन्तु जो भी सृष्टि इस माया का अंग है, उसके द्वारा वे स्वयं ही बाजीगर की भाँति प्रत्यक्ष तथा गुप्त रूप से अद्भुत कार्य कर रहे हैं।

ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਸੀ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਨ ਦਰਸਨ ਸੋ ਦਰਸੁ ਬਚਨ ਸੋ ਬਚਨ ਨ ਸੁਰਤਿ ਸਮੇਕ ਹੈ ।
द्रिसटि सी द्रिसटि न दरसन सो दरसु बचन सो बचन न सुरति समेक है ।

इस सृष्टि में कोई भी एक जैसा नहीं दिखता, एक जैसा नहीं बोलता, एक जैसा नहीं सोचता, एक जैसा नहीं देखता। किसी की बुद्धि एक जैसी नहीं है।

ਰੂਪ ਰੇਖ ਲੇਖ ਭੇਖ ਨਾਦ ਬਾਦ ਨਾਨਾ ਬਿਧਿ ਅਗਮ ਅਗਾਧਿ ਬੋਧ ਬ੍ਰਹਮ ਬਿਬੇਕ ਹੈ ।੩੪੨।
रूप रेख लेख भेख नाद बाद नाना बिधि अगम अगाधि बोध ब्रहम बिबेक है ।३४२।

जीव अनेक रूप, भाग्य, मुद्रा, ध्वनि और लय वाले होते हैं। यह सब समझ और ज्ञान से परे है। वास्तव में भगवान की इस विचित्र और अद्भुत रचना को समझना मनुष्य की क्षमता से परे है। (342)