उनकी रचना का चमत्कार अद्भुत और विस्मयकारी है। किसी भी मनुष्य को दूसरे जैसा नहीं बनाया गया है। फिर भी उनका प्रकाश सभी में व्याप्त है।
यह संसार माया है। परन्तु जो भी सृष्टि इस माया का अंग है, उसके द्वारा वे स्वयं ही बाजीगर की भाँति प्रत्यक्ष तथा गुप्त रूप से अद्भुत कार्य कर रहे हैं।
इस सृष्टि में कोई भी एक जैसा नहीं दिखता, एक जैसा नहीं बोलता, एक जैसा नहीं सोचता, एक जैसा नहीं देखता। किसी की बुद्धि एक जैसी नहीं है।
जीव अनेक रूप, भाग्य, मुद्रा, ध्वनि और लय वाले होते हैं। यह सब समझ और ज्ञान से परे है। वास्तव में भगवान की इस विचित्र और अद्भुत रचना को समझना मनुष्य की क्षमता से परे है। (342)