जिस प्रकार मोर की आंखें, उसके पंख, उसके अन्य अंग सुन्दर होते हैं, उसी प्रकार उसके कुरूप पैरों के कारण उसकी निन्दा नहीं करनी चाहिए (केवल उसके गुण ही देखें)।
जिस प्रकार चंदन बहुत सुगंधित होता है और कमल का फूल बहुत कोमल होता है, उसी प्रकार किसी को यह अवगुण याद नहीं रखना चाहिए कि आमतौर पर चंदन के पेड़ पर सांप लिपटा रहता है, जबकि कमल के फूल के तने पर कांटे होते हैं।
जैसे आम मीठा और स्वादिष्ट होता है, लेकिन उसकी गुठली की कड़वाहट के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
इसी प्रकार गुरु के वचन और उपदेश को सभी से, हर जगह ग्रहण करना चाहिए। सभी का आदर करना चाहिए। किसी की भी निंदा नहीं करनी चाहिए और न ही उसके अवगुणों की निंदा करनी चाहिए।