जैसे एक समय वृक्ष फलों और पत्तियों से भरा होता है और दूसरे समय सारे पत्ते, फल आदि गिर जाते हैं।
जैसे एक नदी एक स्थान पर शांत रूप से बहती है, लेकिन दूसरी जगह वह तेज़ और शोरगुल वाली हो जाती है।
जैसे हीरा एक समय में रेशमी कपड़े में लपेटा जाता है, परन्तु दूसरे समय में वही हीरा सोने में जड़ा जाता है और अपनी भव्यता से चमकता है।
इसी प्रकार गुरु का आज्ञाकारी सिख कभी राजकुमार होता है तो कभी परम तपस्वी। धनवान होने पर भी वह प्रभु प्राप्ति के साधनों में लीन रहता है। (४९७)