सच्चे गुरु के चरणों की पवित्र धूलि में स्नान करने से मनुष्य का शरीर स्वर्णिम आभा से भर जाता है। जो व्यक्ति बुरे विचारों वाला होता है, वह भी गुरु-उन्मुख और दिव्य स्वभाव वाला हो जाता है।
सच्चे गुरु के चरणों का रसपान करने से मन माया के त्रिविध गुणों से मुक्त हो जाता है और स्वयं को पहचान लेता है।
सच्चे गुरु के कमल-समान पवित्र चरण-चिह्नों को अपने मन में स्थापित करने से मनुष्य को तीनों कालों और तीनों लोकों का ज्ञान हो जाता है।
सच्चे गुरु के चरण-कमलों की शीतलता, मधुरता, सुगंध और सौंदर्य का आनंद लेने से मन से द्वैत मिट जाता है। मनुष्य (सच्चे गुरु के) पवित्र चरणों की शरण और सहारे में लीन रहता है। (338)