जहाँ तक अन्य स्त्रियों का प्रश्न है, अपने से बड़ी को माता, अपनी आयु की स्त्री को बहन तथा अपने से छोटी को पुत्री समझो।
दूसरे के धन की इच्छा को गोमांस के समान समझो जिसे छुआ नहीं जाना चाहिए, और उससे दूर रहो।
प्रत्येक शरीर में ताने-बाने की भाँति विराजमान पूर्ण प्रभु के तेज को समझो और किसी के गुण-दोष पर ध्यान मत दो।
सच्चे गुरु के उपदेश से मन को दसों दिशाओं में भटकने से रोको तथा उसे पराई स्त्री, पराया धन और परनिन्दा से दूर रखो। (547)