पूर्ण प्रभु का सम्पूर्ण स्वरूप सतगुरु एक सुगंधित वृक्ष के समान है, जिसके विस्तार में सिख रूपी अनेक शाखाएं, पत्ते, फूल हैं।
भाई लहना जी और बाबा अमरदास जी जैसे समर्पित सिखों के कठोर परिश्रम से सच्चे गुरु ने उनमें अपना प्रकाश प्रकाशित किया। प्रभु की भक्ति और सुगंध की चाह में लीन ये पवित्र आत्माएँ प्रभु की अमृत-लीला को फैलाने और वितरित करने के लिए उत्सुक हैं
ऐसे गुरसिख भगवान के चरण-कमलों की धूलि की सुगंध का आनंद लेते हुए दूसरों को संसार से मुक्ति दिलाते हैं।
सिख धर्म के मार्ग की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता। हम तो बस इतना ही कह सकते हैं कि वह अनंत, असीम और परे है तथा हमारे असंख्य प्रणामों के योग्य है। (38)