कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 204


ਕਿੰਚਤ ਕਟਾਛ ਕ੍ਰਿਪਾ ਬਦਨ ਅਨੂਪ ਰੂਪ ਅਤਿ ਅਸਚਰਜ ਮੈ ਨਾਇਕ ਕਹਾਈ ਹੈ ।
किंचत कटाछ क्रिपा बदन अनूप रूप अति असचरज मै नाइक कहाई है ।

सच्चे गुरु की एक क्षणिक दृष्टि सच्चे गुरु की पत्नी-समान सिख के चेहरे पर एक बहुत ही आकर्षक और आनंदित भाव ले आती है। तब वह (सिख) एक अद्भुत सुंदर नायिका होने का गौरव प्राप्त करती है।

ਲੋਚਨ ਕੀ ਪੁਤਰੀ ਮੈ ਤਨਕ ਤਾਰਕਾ ਸਿਆਮ ਤਾ ਕੋ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਤਿਲ ਬਨਿਤਾ ਬਨਾਈ ਹੈ ।
लोचन की पुतरी मै तनक तारका सिआम ता को प्रतिबिंब तिल बनिता बनाई है ।

सच्चे गुरु की कृपा दृष्टि पड़ने से सच्चे गुरु की आंखों में छोटा सा काला धब्बा पत्नी रूपी सिख के चेहरे पर एक तिल छोड़ देता है। ऐसा तिल पत्नी रूपी सिख की सुंदरता को और बढ़ा देता है।

ਕੋਟਨਿ ਕੋਟਾਨਿ ਛਬਿ ਤਿਲ ਛਿਪਤ ਛਾਹ ਕੋਟਨਿ ਕੋਟਾਨਿ ਸੋਭ ਲੋਭ ਲਲਚਾਈ ਹੈ ।
कोटनि कोटानि छबि तिल छिपत छाह कोटनि कोटानि सोभ लोभ ललचाई है ।

संसार की सुन्दरताएं उस तिल की छाया में छिप जाती हैं और लाखों लोग उस तिल की महिमा पाने की लालसा रखते हैं।

ਕੋਟਿ ਬ੍ਰਹਮੰਡ ਕੇ ਨਾਇਕ ਕੀ ਨਾਇਕਾ ਭਈ ਤਿਲ ਕੇ ਤਿਲਕ ਸਰਬ ਨਾਇਕਾ ਮਿਟਾਈ ਹੈ ।੨੦੪।
कोटि ब्रहमंड के नाइक की नाइका भई तिल के तिलक सरब नाइका मिटाई है ।२०४।

सच्चे गुरु की कृपा दृष्टि के प्रभाव से एक पत्नी रूपी सिख को जो अनुग्रह प्राप्त होता है, वह उसे करोड़ों दिव्य लोकों के स्वामी की दासी बना देता है। उस तिल के कारण वह सुंदरता में अन्य सभी साधक-पत्नियों से आगे निकल जाती है। कोई भी उसकी बराबरी नहीं कर सकता। (204)