कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 518


ਜੈਸੇ ਮੇਘ ਬਰਖਤ ਹਰਖਤਿ ਹੈ ਕ੍ਰਿਸਾਨਿ ਬਿਲਖ ਬਦਨ ਲੋਧਾ ਲੋਨ ਗਰਿ ਜਾਤ ਹੈ ।
जैसे मेघ बरखत हरखति है क्रिसानि बिलख बदन लोधा लोन गरि जात है ।

जिस प्रकार एक किसान वर्षा देखकर प्रसन्न होता है, किन्तु एक बुनकर का चेहरा पीला पड़ जाता है, वह बेचैन और दुखी महसूस करता है।

ਜੈਸੇ ਪਰਫੁਲਤ ਹੁਇ ਸਕਲ ਬਨਾਸਪਤੀ ਸੁਕਤ ਜਵਾਸੋ ਆਕ ਮੂਲ ਮੁਰਝਾਤ ਹੈ ।
जैसे परफुलत हुइ सकल बनासपती सुकत जवासो आक मूल मुरझात है ।

जिस प्रकार वर्षा होने पर सभी वनस्पतियाँ हरी हो जाती हैं, किन्तु ऊँट काँटा (अल्हागी मौरोरम) का पौधा मुरझा जाता है, जबकि अक्क (कैलोट्रोपिस प्रोसेरा) अपनी जड़ से ही सूख जाता है।

ਜੈਸੇ ਖੇਤ ਸਰਵਰ ਪੂਰਨ ਕਿਰਖ ਜਲ ਊਚ ਥਲ ਕਾਲਰ ਨ ਜਲ ਠਹਿਰਾਤ ਹੈ ।
जैसे खेत सरवर पूरन किरख जल ऊच थल कालर न जल ठहिरात है ।

जैसे वर्षा होने पर तालाब और खेत पानी से भर जाते हैं, परन्तु टीलों और लवणीय भूमि पर पानी जमा नहीं हो पाता।

ਗੁਰ ਉਪਦੇਸ ਪਰਵੇਸ ਗੁਰਸਿਖ ਰਿਦੈ ਸਾਕਤ ਸਕਤਿ ਮਤਿ ਸੁਨਿ ਸਕੁਚਾਤ ਹੈ ।੫੧੮।
गुर उपदेस परवेस गुरसिख रिदै साकत सकति मति सुनि सकुचात है ।५१८।

इसी प्रकार गुरु के उपदेश सिख के मन में व्याप्त रहते हैं, जो उसे सदैव प्रसन्नता से भर देते हैं। किन्तु स्वार्थी व्यक्ति सांसारिक आकर्षणों के वश में होकर सदैव माया में ही लिप्त रहता है। इस प्रकार