जिस प्रकार एक किसान वर्षा देखकर प्रसन्न होता है, किन्तु एक बुनकर का चेहरा पीला पड़ जाता है, वह बेचैन और दुखी महसूस करता है।
जिस प्रकार वर्षा होने पर सभी वनस्पतियाँ हरी हो जाती हैं, किन्तु ऊँट काँटा (अल्हागी मौरोरम) का पौधा मुरझा जाता है, जबकि अक्क (कैलोट्रोपिस प्रोसेरा) अपनी जड़ से ही सूख जाता है।
जैसे वर्षा होने पर तालाब और खेत पानी से भर जाते हैं, परन्तु टीलों और लवणीय भूमि पर पानी जमा नहीं हो पाता।
इसी प्रकार गुरु के उपदेश सिख के मन में व्याप्त रहते हैं, जो उसे सदैव प्रसन्नता से भर देते हैं। किन्तु स्वार्थी व्यक्ति सांसारिक आकर्षणों के वश में होकर सदैव माया में ही लिप्त रहता है। इस प्रकार