कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 283


ਸ੍ਰੀ ਗੁਰ ਸਬਦ ਸੁਨਿ ਸ੍ਰਵਨ ਕਪਾਟ ਖੁਲੇ ਨਾਦੈ ਮਿਲਿ ਨਾਦ ਅਨਹਦ ਲਿਵ ਲਾਈ ਹੈ ।
स्री गुर सबद सुनि स्रवन कपाट खुले नादै मिलि नाद अनहद लिव लाई है ।

सच्चे गुरु के उपदेश को सुनकर गुरु-चेतन शिष्य का अज्ञान दूर हो जाता है। फिर वह गुरु के शब्दों की मधुरता और दशम द्वार में निरंतर बजने वाले अविरल संगीत की दिव्य रहस्यमय धुनों के सम्मिश्रण में लीन हो जाता है।

ਗਾਵਤ ਸਬਦ ਰਸੁ ਰਸਨਾ ਰਸਾਇਨ ਕੈ ਨਿਝਰ ਅਪਾਰ ਧਾਰ ਭਾਠੀ ਕੈ ਚੁਆਈ ਹੈ ।
गावत सबद रसु रसना रसाइन कै निझर अपार धार भाठी कै चुआई है ।

समस्त सुखों के भण्डार भगवान के नाम का जप करने से भट्टी रूपी दशम द्वार से अमृत की निरन्तर धारा निकलती रहती है।

ਹਿਰਦੈ ਨਿਵਾਸ ਗੁਰ ਸਬਦ ਨਿਧਾਨ ਗਿਆਨ ਧਾਵਤ ਬਰਜਿ ਉਨਮਨਿ ਸੁਧਿ ਪਾਈ ਹੈ ।
हिरदै निवास गुर सबद निधान गिआन धावत बरजि उनमनि सुधि पाई है ।

गुरु के वचन समस्त ज्ञान का स्रोत हैं। इसे मन में स्थापित करने से गुरु-उन्मुख व्यक्ति दसों दिशाओं में भटकना बंद कर देता है तथा ईश्वर-उन्मुख मन की चेतना प्राप्त कर लेता है।

ਸਬਦ ਅਵੇਸ ਪਰਮਾਰਥ ਪ੍ਰਵੇਸ ਧਾਰਿ ਦਿਬਿ ਦੇਹ ਦਿਬਿ ਜੋਤਿ ਪ੍ਰਗਟ ਦਿਖਾਈ ਹੈ ।੨੮੩।
सबद अवेस परमारथ प्रवेस धारि दिबि देह दिबि जोति प्रगट दिखाई है ।२८३।

गुरु के वचनों से एकरूप होकर गुरु-उन्मुख व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है। तब भगवान का दिव्य प्रकाश उसमें चमकता और प्रकाशित होता है। (283)