सच्चे गुरु के उपदेश को सुनकर गुरु-चेतन शिष्य का अज्ञान दूर हो जाता है। फिर वह गुरु के शब्दों की मधुरता और दशम द्वार में निरंतर बजने वाले अविरल संगीत की दिव्य रहस्यमय धुनों के सम्मिश्रण में लीन हो जाता है।
समस्त सुखों के भण्डार भगवान के नाम का जप करने से भट्टी रूपी दशम द्वार से अमृत की निरन्तर धारा निकलती रहती है।
गुरु के वचन समस्त ज्ञान का स्रोत हैं। इसे मन में स्थापित करने से गुरु-उन्मुख व्यक्ति दसों दिशाओं में भटकना बंद कर देता है तथा ईश्वर-उन्मुख मन की चेतना प्राप्त कर लेता है।
गुरु के वचनों से एकरूप होकर गुरु-उन्मुख व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है। तब भगवान का दिव्य प्रकाश उसमें चमकता और प्रकाशित होता है। (283)