जैसे किसी घर में दीपक जलाने से वह प्रकाशित हो जाता है, तथा सब कुछ स्पष्ट दिखाई देने लगता है;
चारों ओर प्रकाश फैलने से सभी कार्य आसानी से पूरे हो जाते हैं और समय शांति और खुशी से बीतता है;
जैसे अनेक पतंगे दीपक के प्रकाश से मोहित हो जाते हैं, किन्तु जब प्रकाश चला जाता है और अंधकार छा जाता है, तो वे व्याकुल हो जाते हैं;
जिस प्रकार जीवात्माएँ जलते हुए दीपक का महत्व नहीं समझते, अपितु दीपक के बुझ जाने पर उसका लाभ न उठा पाने का पश्चाताप करते हैं, उसी प्रकार लोग भी सच्चे गुरु के दर्शन के बाद उनके सान्निध्य का लाभ न उठा पाने का पश्चाताप करते हैं तथा दुःखी होते हैं।