जैसे घर में आटा, चीनी और तेल रखा जाता है और किसी मेहमान के आने पर मीठे पकवान बनाए जाते हैं, परोसे जाते हैं और खाए जाते हैं।
जिस प्रकार सुन्दर वस्त्र, मोतियों का हार और सोने के आभूषण तो होते हैं, परन्तु विवाह जैसे विशेष अवसरों पर ही पहने जाते हैं और दूसरों को दिखाए जाते हैं।
जिस प्रकार दुकान में बहुमूल्य मोती और जवाहरात रखे रहते हैं, लेकिन दुकानदार उन्हें बेचकर लाभ कमाने के लिए ग्राहक को दिखाता है।
इसी प्रकार गुरबाणी को पुस्तक के रूप में लिखा जाता है, उसे बांधा जाता है और सुरक्षित रखा जाता है। लेकिन जब गुरु के सिख एक साथ इकट्ठे होते हैं, तो उस पुस्तक को पढ़ा और सुना जाता है और इससे मन को प्रभु के पवित्र चरणों में लगाने में मदद मिलती है।