जिस व्यक्ति को सद्गुरु द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान की कृपा प्राप्त हो जाती है, उसे किसी अन्य रूप या आकर्षण को देखना पसंद नहीं होता। ऐसे कृपापात्र व्यक्ति को कोई अन्य वस्तु शांति और सुकून नहीं दे सकती।
जिसे सच्चे गुरु द्वारा आध्यात्मिक सुख प्राप्त हो जाता है, उसे अन्य कोई सुख अच्छा नहीं लगता।
एक श्रद्धालु सिख को आध्यात्मिक सुख प्राप्त हो जाता है, जिस तक कोई भी नहीं पहुंच सकता, उसे अन्य सांसारिक सुखों के पीछे भागने की आवश्यकता नहीं होती।
केवल आत्म-साक्षात्कार (आध्यात्मिक ज्ञान) से संपन्न व्यक्ति ही इसका आनंद अनुभव कर सकता है और इसकी व्याख्या नहीं की जा सकती। केवल भक्त ही उस अवस्था के आनंद की सराहना कर सकता है। (20)