जैसे शेर का भोजन मांस है, गाय का भोजन घास है, कमल के फूल की सुगंध से भौंरा प्रसन्न होता है, जैसे मछली को पानी में रहना अच्छा लगता है, बच्चे को दूध का सहारा है और साँप को ठंडी हवा का सहारा है।
जिस प्रकार एक सुर्ख लाल पक्षी को चाँद से प्रेम होता है, उसी प्रकार एक मोर को काले बादल भाते हैं, जबकि एक बरसाती पक्षी को स्वाति की बूँद की हमेशा लालसा रहती है।
जैसे विद्वान् व्यक्ति प्रवचन और व्याख्या में लीन रहता है, जबकि संसारी व्यक्ति सांसारिक कार्यों में लिप्त रहता है, जैसे सारा संसार माया के मोह में डूबा हुआ है,
इसी प्रकार गुरु-चेतन और गुरु-जागृत व्यक्ति सच्चे गुरु द्वारा आशीर्वादित भगवान के अमृत-समान नाम में लीन रहता है। (नाम का अभ्यास ही उसके जीवन का आधार बन जाता है) (599)