कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 478


ਜਉ ਪੈ ਤੂੰਬਰੀ ਨ ਬੂਡੇ ਸਰਤ ਪਰਵਾਹ ਬਿਖੈ ਬਿਖਮੈ ਤਊ ਨ ਤਜਤ ਹੈ ਮਨ ਤੇ ।
जउ पै तूंबरी न बूडे सरत परवाह बिखै बिखमै तऊ न तजत है मन ते ।

यदि तुम्ना तेज बहती नदी में भी न डूबे और मीठे ठण्डे पानी में भी अपनी कड़वाहट न छोड़े तो फिर उसका क्या फायदा?

ਜਉ ਪੈ ਲਪਟੈ ਪਾਖਾਨ ਪਾਵਕ ਜਰੈ ਸੂਤ੍ਰ ਜਲ ਮੈ ਲੈ ਬੋਰਿਤ ਰਿਦੈ ਕਠੋਰਪਨ ਤੇ ।
जउ पै लपटै पाखान पावक जरै सूत्र जल मै लै बोरित रिदै कठोरपन ते ।

यदि अग्नि की ज्वाला पत्थर को जला न सके, तथा अपने कठोर स्वभाव के कारण अपने साथ सब कुछ डुबा दे, तो उसका क्या लाभ ?

ਜਉ ਪੈ ਗੁਡੀ ਉਡੀ ਦੇਖੀਅਤ ਹੈ ਆਕਾਸਚਾਰੀ ਬਰਸਤ ਮੇਂਹ ਬਾਚੀਐ ਨ ਬਾਲਕਨ ਤੇ ।
जउ पै गुडी उडी देखीअत है आकासचारी बरसत मेंह बाचीऐ न बालकन ते ।

एक पतंग एक पक्षी की तरह आसमान में उड़ती हुई दिखाई देती है, लेकिन जब बारिश होने लगती है तो उसे उड़ाने वाले बच्चे बचा नहीं पाते और वापस नहीं ला पाते।

ਤੈਸੇ ਰਿਧਿ ਸਿਧਿ ਭਾਉ ਦੁਤੀਆ ਤ੍ਰਿਗੁਨ ਖੇਲ ਗੁਰਮੁਖ ਸੁਖਫਲ ਨਾਹਿ ਕ੍ਰਿਤਘਨਿ ਤੇ ।੪੭੮।
तैसे रिधि सिधि भाउ दुतीआ त्रिगुन खेल गुरमुख सुखफल नाहि क्रितघनि ते ।४७८।

इसी प्रकार, पानी पर चलना, जलने से बचाव या आकाश में तैरने जैसी चमत्कारी शक्तियाँ प्राप्त करना द्वैत में लिप्त होना है और तीन गुणों वाले धन (माया) का प्रभाव है। (इन्हें प्राप्त करने से व्यक्ति आंतरिक कटुता से मुक्त नहीं हो सकता, न ही इससे मुक्ति मिल सकती है।)