जैसे कोई व्यक्ति पहले कौड़ियों का, फिर धन का, सोने के सिक्कों का, फिर हीरे-जवाहरातों का मूल्यांकन करने लगता है, तो उसे जौहरी कहते हैं।
लेकिन जौहरी के रूप में प्रसिद्ध होने के बाद यदि कोई व्यक्ति सीपों का व्यापार करने लगे तो कुलीन लोगों के बीच उसका सम्मान खत्म हो जाता है।
इसी प्रकार, यदि किसी देवता का अनुयायी सच्चे गुरु की सेवा में आता है, तो उसे इस लोक में तथा परलोक में उच्च स्थान प्राप्त होता है।
परन्तु यदि कोई सच्चे गुरु की सेवा छोड़कर किसी अन्य देवता का अनुयायी बन जाता है, तो वह अपना मानव जीवन व्यर्थ गंवा देता है और लोग उसे बुरा पुत्र कहकर उसकी हंसी उड़ाते हैं। (479)