कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 368


ਜੈਸੇ ਫੂਲ ਫੂਲੇ ਤੇਤੇ ਫਲ ਨ ਲਾਗੈ ਦ੍ਰੁਮ ਲਾਗਤ ਜਿਤੇਕੁ ਪਰਪਕ ਨ ਸਕਲ ਹੈ ।
जैसे फूल फूले तेते फल न लागै द्रुम लागत जितेकु परपक न सकल है ।

पेड़ पर जितने भी फूल खिलते हैं, उन सभी पर फल नहीं लगते और जो भी फल लगते हैं, वे अंततः खाने लायक नहीं होते।

ਜੇਤੇ ਸੁਤ ਜਨਮਤ ਜੀਅਤ ਨ ਰਹੈ ਨ ਤੇਤੇ ਜੀਅਤ ਹੈ ਜੇਤੇ ਤੇਤੇ ਕੁਲ ਨ ਕਮਲ ਹੈਂ ।
जेते सुत जनमत जीअत न रहै न तेते जीअत है जेते तेते कुल न कमल हैं ।

सभी जन्मे पुत्र जीवित नहीं रहते, किन्तु सभी जीवित रहने वाले पुत्र अपने परिवार का नाम और यश नहीं बढ़ा पाते।

ਦਲ ਮਿਲ ਜਾਤ ਜੇਤੇ ਸੁਭਟ ਨ ਹੋਇ ਤੇਤੇ ਜੇਤਕ ਸੁਭਟ ਜੂਝ ਮਰਤ ਨ ਥਲ ਹੈਂ ।
दल मिल जात जेते सुभट न होइ तेते जेतक सुभट जूझ मरत न थल हैं ।

सेना में भर्ती होने वाले सभी लोग वीर सैनिक नहीं होते और जो वीर योद्धा होते हैं, वे युद्ध के मैदान में लड़ते हुए नहीं मरते।

ਆਰਸੀ ਜੁਗਤਿ ਗੁਰ ਸਿਖ ਸਭ ਹੀ ਕਹਾਵੈ ਪਾਵਕ ਪ੍ਰਗਾਸ ਭਏ ਵਿਰਲੇ ਅਚਲ ਹੈਂ ।੩੬੮।
आरसी जुगति गुर सिख सभ ही कहावै पावक प्रगास भए विरले अचल हैं ।३६८।

उंगली की अंगूठी में जड़ा हुआ कांच आग के पास लाने पर टूट जाता है, लेकिन असली पत्थर पर इसका कोई असर नहीं होता। इसी तरह असली पत्थर की तरह हर कोई सिख कहलाता है, लेकिन कुछ लोग गुणों के माध्यम से असली निकलते हैं। (368)