जिस प्रकार एक माता-पिता के अनेक पुत्र उत्पन्न होते हैं, किन्तु सभी एक समान गुणवान नहीं होते।
जैसे एक स्कूल में कई विद्यार्थी होते हैं, लेकिन सभी एक विषय को समान रूप से समझने में कुशल नहीं होते।
जैसे एक नाव में कई यात्री यात्रा करते हैं, लेकिन उन सभी का गंतव्य अलग-अलग होता है। हर कोई नाव छोड़कर अपने-अपने रास्ते पर चला जाता है।
इसी प्रकार भिन्न-भिन्न गुणों वाले अनेक सिख सच्चे गुरु की शरण लेते हैं, परन्तु सभी कारणों का कारण - समर्थ सच्चा गुरु उन्हें नाम रूपी अमृत प्रदान करके उन्हें एक समान बना देता है। (583)