जैसे चींटी के पेट में हाथी नहीं समा सकता, जैसे छोटा सा उड़ने वाला कीड़ा पहाड़ का वजन नहीं उठा सकता,
जैसे मच्छर के डंक से साँपों के राजा को नहीं मारा जा सकता, वैसे ही मकड़ी न तो बाघ को जीत सकती है, न ही उससे मुकाबला कर सकती है।
जैसे उल्लू उड़कर आकाश तक नहीं पहुंच सकता, वैसे ही चूहा समुद्र को तैरकर पार नहीं कर सकता,
इसी प्रकार हमारे प्रिय प्रभु के प्रेम की नीतियाँ भी हमारी समझ से परे हैं। यह बहुत गंभीर विषय है। जैसे पानी की एक बूँद समुद्र के पानी में मिल जाती है, वैसे ही गुरु का भक्त सिख अपने प्रिय प्रभु के साथ एक हो जाता है। (75)