कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 629


ਗਿਆਨ ਮੇਘ ਬਰਖਾ ਸਰਬਤ੍ਰ ਬਰਖੈ ਸਮਾਨ ਊਚੋ ਤਜ ਨੀਚੈ ਬਲ ਗਵਨ ਕੈ ਜਾਤ ਹੈ ।
गिआन मेघ बरखा सरबत्र बरखै समान ऊचो तज नीचै बल गवन कै जात है ।

जिस प्रकार वर्षा सभी जगह एक समान होती है, तथा ऊंची भूमि पर गिरने वाला पानी अपने आप ही निचली भूमि पर चला जाता है।

ਤੀਰਥ ਪਰਬ ਜੈਸੇ ਜਾਤ ਹੈ ਜਗਤ ਚਲ ਜਾਤ੍ਰਾ ਹੇਤ ਦੇਤ ਦਾਨ ਅਤਿ ਬਿਗਸਾਤ ਹੈ ।
तीरथ परब जैसे जात है जगत चल जात्रा हेत देत दान अति बिगसात है ।

जैसे त्यौहारों पर लोग तीर्थ स्थानों पर जाते हैं और दान-पुण्य करके प्रसन्नता महसूस करते हैं।

ਜੈਸੇ ਨ੍ਰਿਪ ਸੋਭਤ ਹੈ ਬੈਠਿਓ ਸਿੰਘਾਸਨ ਪੈ ਚਹੂੰ ਓਰ ਤੇ ਦਰਬ ਆਵ ਦਿਨ ਰਾਤ ਹੈ ।
जैसे न्रिप सोभत है बैठिओ सिंघासन पै चहूं ओर ते दरब आव दिन रात है ।

जिस प्रकार राजा सिंहासन पर बैठकर प्रशंसा प्राप्त करता है, उसी प्रकार उसे दिन-रात चारों ओर से उपहार और भेंट प्राप्त होती रहती है।

ਤੈਸੇ ਨਿਹਕਾਮ ਧਾਮ ਸਾਧ ਹੈ ਸੰਸਾਰ ਬਿਖੈ ਅਸਨ ਬਸਨ ਚਲ ਆਵਤ ਜੁਗਾਤ ਹੈ ।੬੨੯।
तैसे निहकाम धाम साध है संसार बिखै असन बसन चल आवत जुगात है ।६२९।

इसी प्रकार भगवान रूपी सद्गुरु का घर कामना रहित होता है। वर्षा का जल, तीर्थस्थानों का दान और राजा के समान, दशवन्ध का अन्न, वस्त्र और धन सद्गुरु के घर में बरसता रहता है।