चूंकि कपूर की सुगंध हवा में फैलने की विशेषता रखती है, इसलिए इसकी गंध किसी भी चीज में नहीं टिक सकती;
लेकिन चंदन के पेड़ के आसपास की वनस्पतियां उससे निकलने वाली सुगंध से समान रूप से सुगंधित हो जाती हैं;
जैसे जल में जो रंग मिला दिया जाता है, वही रंग जल ग्रहण कर लेता है, किन्तु अग्नि सब रंगों को जलाकर नष्ट कर देती है।
जिस प्रकार सूर्य का प्रभाव तमोगुणी होता है, जबकि चन्द्रमा का प्रभाव पुण्यमय होता है, उसी प्रकार गुरु-चेतन व्यक्ति शांतिपूर्वक और सदाचारपूर्वक आचरण करता है, जबकि स्वेच्छाचारी और धन के कुप्रभाव में फंसा हुआ धर्मत्यागी व्यक्ति प्रत्यक्ष होता है। (134)