जैसे हंसों का झुंड मानसरोवर झील पर पहुंचता है और वहां मोती खाकर प्रसन्न होता है
जैसे दोस्त रसोईघर में एकत्र होकर एक साथ कई स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं,
जिस प्रकार अनेक पक्षी एक वृक्ष की छाया में एकत्रित होकर उसके मीठे फल खाते हुए मधुर ध्वनि निकालते हैं,
इसी प्रकार श्रद्धालु और आज्ञाकारी शिष्य धर्मशाला में एकत्र होकर उनके अमृततुल्य नाम का चिन्तन करके सुखी और संतुष्ट होते हैं। (559)