प्रभु के साथ मेरे मिलन का हर क्षण रात भर का हो जाए और इस मिलन का हर सेकंड महीने भर का हो जाए।
प्रत्येक पहर एक वर्ष का हो, तथा प्रत्येक पहर (दिन का एक चौथाई भाग) एक युग के बराबर हो।
चन्द्रमा का प्रत्येक गुण लाखों गुणों में परिवर्तित हो जाए और उज्ज्वल आभा से प्रकाशित हो जाए; तथा प्रेम अमृत की महिमा अधिकाधिक शक्तिशाली हो जाए।
अब जब इस अमूल्य मानव जीवन में हृदय रूपी शय्या पर प्रभु से साक्षात्कार का अवसर आया है, तब मैं मन, वचन और कर्म से प्रभु के निःशब्द ध्यान में लीन रहूँ। मैं सो न जाऊँ।