कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 415


ਜੈਸੇ ਕਾਛੀ ਫਲ ਹੇਤ ਬਿਬਿਧਿ ਬਿਰਖ ਰੋਪੈ ਨਿਹਫਲ ਰਹੈ ਬਿਰਖੈ ਨ ਕਾਹੂ ਕਾਜ ਹੈ ।
जैसे काछी फल हेत बिबिधि बिरख रोपै निहफल रहै बिरखै न काहू काज है ।

जैसे एक माली फल प्राप्त करने के लिए अनेक वृक्षों के पौधे लगाता है, किन्तु जो वृक्ष फल नहीं देता, वह पौधा बेकार हो जाता है।

ਸੰਤਤਿ ਨਮਿਤਿ ਨ੍ਰਿਪ ਅਨਿਕ ਬਿਵਾਹ ਕਰੈ ਸੰਤਤਿ ਬਿਹੂਨ ਬਨਿਤਾ ਨ ਗ੍ਰਿਹ ਛਾਜਿ ਹੈ ।
संतति नमिति न्रिप अनिक बिवाह करै संतति बिहून बनिता न ग्रिह छाजि है ।

जिस प्रकार एक राजा अपने राज्य का उत्तराधिकारी पाने के लिए अनेक स्त्रियों से विवाह करता है, किन्तु जो रानी उसे संतान नहीं देती, उसे परिवार में कोई भी पसंद नहीं करता।

ਬਿਦਿਆ ਦਾਨ ਜਾਨ ਜੈਸੇ ਪਾਧਾ ਚਟਸਾਰ ਜੋਰੈ ਬਿਦਿਆ ਹੀਨ ਦੀਨ ਖਲ ਨਾਮ ਉਪਰਾਜਿ ਹੈ ।
बिदिआ दान जान जैसे पाधा चटसार जोरै बिदिआ हीन दीन खल नाम उपराजि है ।

जैसे एक शिक्षक स्कूल तो खोल देता है लेकिन जो बच्चा अनपढ़ रह जाता है उसे आलसी और मूर्ख कहा जाता है।

ਸਤਿਗੁਰ ਸਿਖ ਸਾਖਾ ਸੰਗ੍ਰਹੈ ਸੁਗਿਆਨ ਨਮਿਤਿ ਬਿਨ ਗੁਰ ਗਿਆਨ ਧ੍ਰਿਗ ਜਨਮ ਕਉ ਲਾਜਿ ਹੈ ।੪੧੫।
सतिगुर सिख साखा संग्रहै सुगिआन नमिति बिन गुर गिआन ध्रिग जनम कउ लाजि है ।४१५।

इसी प्रकार सद्गुरु अपने शिष्यों को परमज्ञान (नाम) देने के लिए उनका समागम करते हैं। परन्तु जो गुरु की शिक्षा से वंचित रहता है, वह निन्दा का पात्र है तथा मानव जन्म पर कलंक है। (415)