जैसे एक माली फल प्राप्त करने के लिए अनेक वृक्षों के पौधे लगाता है, किन्तु जो वृक्ष फल नहीं देता, वह पौधा बेकार हो जाता है।
जिस प्रकार एक राजा अपने राज्य का उत्तराधिकारी पाने के लिए अनेक स्त्रियों से विवाह करता है, किन्तु जो रानी उसे संतान नहीं देती, उसे परिवार में कोई भी पसंद नहीं करता।
जैसे एक शिक्षक स्कूल तो खोल देता है लेकिन जो बच्चा अनपढ़ रह जाता है उसे आलसी और मूर्ख कहा जाता है।
इसी प्रकार सद्गुरु अपने शिष्यों को परमज्ञान (नाम) देने के लिए उनका समागम करते हैं। परन्तु जो गुरु की शिक्षा से वंचित रहता है, वह निन्दा का पात्र है तथा मानव जन्म पर कलंक है। (415)