सच्चे गुरु के दर्शन का चिंतन एक भक्त के लिए अद्भुत है। जो लोग अपने दर्शन में सच्चे गुरु को देखते हैं, वे (हिंदू धर्म के) छह दर्शनों की शिक्षाओं से परे चले जाते हैं।
सच्चे गुरु की शरण ही निष्कामता का घर है। सच्चे गुरु की शरण में रहने वाले लोगों में किसी अन्य देवता की सेवा के प्रति कोई प्रेम नहीं होता।
सच्चे गुरु के वचनों में मन को लीन करना ही सर्वोच्च मंत्र है। गुरु के सच्चे शिष्य किसी अन्य पूजा पद्धति में विश्वास नहीं रखते।
सच्चे गुरु की कृपा से ही मनुष्य को पवित्र संगति में बैठने और आनन्द लेने का सुख मिलता है। हंस जैसे गुरु-चिन्तित लोग पवित्र पुरुषों की परम पूज्य दिव्य संगति में ही अपना मन लगाते हैं, अन्यत्र नहीं। (183)