कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 364


ਜੈਸੇ ਬ੍ਰਿਥਾਵੰਤ ਜੰਤ ਅਉਖਦ ਹਿਤਾਇ ਰਿਦੈ ਬ੍ਰਿਥਾ ਬਲੁ ਬਿਮੁਖ ਹੋਇ ਸਹਜਿ ਨਿਵਾਸ ਹੈ ।
जैसे ब्रिथावंत जंत अउखद हिताइ रिदै ब्रिथा बलु बिमुख होइ सहजि निवास है ।

जैसे ही कोई दवा किसी व्यक्ति को लाभ पहुंचाती है, वह स्वस्थ हो जाता है, शांत और सहज हो जाता है।

ਜੈਸੇ ਆਨ ਧਾਤ ਮੈ ਤਨਕ ਹੀ ਕਲੰਕ ਡਾਰੇ ਅਨਕ ਬਰਨ ਮੇਟਿ ਕਨਕਿ ਪ੍ਰਗਾਸ ਹੈ ।
जैसे आन धात मै तनक ही कलंक डारे अनक बरन मेटि कनकि प्रगास है ।

जैसे धातुओं में कुछ रसायन मिलाने से उनमें चमक आ जाती है और उनका मूल रंग गायब हो जाता है।

ਜੈਸੇ ਕੋਟਿ ਭਾਰਿ ਕਰ ਕਾਸਟਿ ਇਕਤ੍ਰਤਾ ਮੈ ਰੰਚਕ ਹੀ ਆਂਚ ਦੇਤ ਭਸਮ ਉਦਾਸ ਹੈ ।
जैसे कोटि भारि कर कासटि इकत्रता मै रंचक ही आंच देत भसम उदास है ।

जिस प्रकार थोड़ी सी आग लाखों लकड़ियों के ढेर को राख में बदल कर नष्ट कर सकती है।

ਤੈਸੇ ਗੁਰ ਉਪਦੇਸ ਉਰ ਅੰਤਰ ਪ੍ਰਵੇਸ ਭਏ ਜਨਮ ਮਰਨ ਦੁਖ ਦੋਖਨ ਬਿਨਾਸ ਹੈ ।੩੬੪।
तैसे गुर उपदेस उर अंतर प्रवेस भए जनम मरन दुख दोखन बिनास है ।३६४।

इसी प्रकार जब सच्चे गुरु की शिक्षा साधक के मन में निवास करती है तो उसका जन्म-मरण का चक्र और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। (364)