तीर्थ स्थानों पर स्नान का महत्व यह है कि इससे शरीर स्वच्छ हो जाता है और सभी इच्छाओं और आकर्षणों से मुक्त हो जाता है।
हाथ में दर्पण धारण करने से चेहरे की आकृति और शारीरिक संरचना का पता चलता है। हाथ में दीपक धारण करने से व्यक्ति को अपने मार्ग का पता चलता है।
पति-पत्नी का मिलन सीप में पड़ी स्वाति की बूंद की तरह है जो मोती बन जाती है। पत्नी गर्भवती होती है और अपने गर्भ में मोती जैसे बच्चे का पालन-पोषण करती है।
इसी प्रकार सच्चे गुरु की शरण में आकर उनसे दीक्षा लेने वाला शिष्य ही गुरु का सिख है जो सच्चे गुरु की शिक्षाओं को अपने हृदय में धारण करता है और उसके अनुसार अपना जीवन व्यतीत करता है। (377)