कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 469


ਸੋਈ ਪਾਰੋ ਖਾਤਿ ਗਾਤਿ ਬਿਬਿਧਿ ਬਿਕਾਰ ਹੋਤ ਸੋਈ ਪਾਰੋ ਖਾਤ ਗਾਤ ਹੋਇ ਉਪਚਾਰ ਹੈ ।
सोई पारो खाति गाति बिबिधि बिकार होत सोई पारो खात गात होइ उपचार है ।

जिस प्रकार कच्चे पारे के सेवन से शरीर में अनेक बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं, किन्तु जब उसे कुछ रसायनों से उपचारित कर शुद्ध किया जाता है, तो अनेक बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं।

ਸੋਈ ਪਾਰੋ ਪਰਸਤ ਕੰਚਨਹਿ ਸੋਖ ਲੇਤ ਸੋਈ ਪਾਰੋ ਪਰਸ ਤਾਂਬੋ ਕਨਿਕ ਧਾਰਿ ਹੈ ।
सोई पारो परसत कंचनहि सोख लेत सोई पारो परस तांबो कनिक धारि है ।

जिस प्रकार कच्चे पारे में रखा सोना अपनी पहचान खो देता है, लेकिन जब वही रासायनिक प्रतिक्रिया वाला पारा तांबे के साथ मिलता है तो सोना बन जाता है।

ਸੋਈ ਪਾਰੋ ਅਗਹੁ ਨ ਹਾਥਨ ਕੈ ਗਹਿਓ ਜਾਇ ਸੋਈ ਪਾਰੋ ਗੁਟਕਾ ਹੁਇ ਸਿਧ ਨਮਸਕਾਰ ਹੈ ।
सोई पारो अगहु न हाथन कै गहिओ जाइ सोई पारो गुटका हुइ सिध नमसकार है ।

जो पारा इतना अस्थिर और चंचल होता है कि उसे हाथों से नहीं पकड़ा जा सकता, लेकिन वही जब रासायनिक रूप से छोटी गोलियों में परिवर्तित हो जाता है तो योगियों और सिद्धों के लिए पूजनीय हो जाता है।

ਮਾਨਸ ਜਨਮੁ ਪਾਇ ਜੈਸੀਐ ਸੰਗਤਿ ਮਿਲੈ ਤੈਸੀ ਪਾਵੈ ਪਦਵੀ ਪ੍ਰਤਾਪ ਅਧਿਕਾਰ ਹੈ ।੪੬੯।
मानस जनमु पाइ जैसीऐ संगति मिलै तैसी पावै पदवी प्रताप अधिकार है ।४६९।

इसी प्रकार मनुष्य अपने जीवन में जैसी संगति करता है, संसार में उसे वैसी ही योग्यता और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। यदि वह सच्चे गुरु के सच्चे भक्तों की संगति का आनंद लेता है, तो गुरु की शिक्षाओं के कारण उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। परंतु शिष्य होते हुए भी