कबित सव्ये भाई गुरदास जी

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ਗੁਰਮੁਖਿ ਪੰਥ ਗਹੇ ਜਮਪੁਰਿ ਪੰਥ ਮੇਟੇ ਗੁਰਸਿਖ ਸੰਗ ਪੰਚ ਦੂਤ ਸੰਗ ਤਿਆਗੇ ਹੈ ।
गुरमुखि पंथ गहे जमपुरि पंथ मेटे गुरसिख संग पंच दूत संग तिआगे है ।

गुरु के बताए मार्ग पर चलने से सिख को मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है। पवित्र संगत की संगति करने से काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे दुर्गुण भी दूर हो जाते हैं।

ਚਰਨ ਸਰਨਿ ਗੁਰ ਕਰਮ ਭਰਮ ਖੋਏ ਦਰਸ ਅਕਾਲ ਕਾਲ ਕੰਟਕ ਭੈ ਭਾਗੇ ਹੈ ।
चरन सरनि गुर करम भरम खोए दरस अकाल काल कंटक भै भागे है ।

सद्गुरु की शरण में जाने से मनुष्य के सभी पूर्व कर्म नष्ट हो जाते हैं तथा सद्गुरु के ईश्वर-स्वरूप का दर्शन करने से मृत्यु का भय भी मिट जाता है।

ਗੁਰ ਉਪਦੇਸ ਵੇਸ ਬਜ੍ਰ ਕਪਾਟ ਖੁਲੇ ਸਬਦ ਸੁਰਤਿ ਮੂਰਛਤ ਮਨ ਜਾਗੇ ਹੈ ।
गुर उपदेस वेस बज्र कपाट खुले सबद सुरति मूरछत मन जागे है ।

सद्गुरु के उपदेशों पर चलने से सभी इच्छाएं और आशंकाएं मिट जाती हैं। गुरु के पवित्र वचनों में मन को लीन करने से धन-ग्रस्त अचेतन मन सजग हो जाता है।

ਕਿੰਚਤ ਕਟਾਛ ਕ੍ਰਿਪਾ ਸਰਬ ਨਿਧਾਨ ਪਾਏ ਜੀਵਨ ਮੁਕਤਿ ਗੁਰ ਗਿਆਨ ਲਿਵ ਲਾਗੇ ਹੈ ।੫੭।
किंचत कटाछ क्रिपा सरब निधान पाए जीवन मुकति गुर गिआन लिव लागे है ।५७।

सतगुरु की कृपा का एक छोटा सा अंश भी समस्त सांसारिक निधियों से कम नहीं है। सतगुरु द्वारा आशीर्वादित शब्द और नाम में मन को लीन करने से मनुष्य जीते जी मोक्ष प्राप्त कर लेता है। (57)