जिस प्रकार थोड़ी सी मात्रा में विष ग्रहण करने से व्यक्ति तुरन्त मर जाता है, तथा कई वर्षों से पाला-पोसा गया शरीर भी नष्ट हो जाता है।
ठीक उसी प्रकार जैसे भैंस के दूध का एक डिब्बा यदि साइट्रिक एसिड की एक बूंद से दूषित हो जाए तो वह बेकार हो जाता है और रखने लायक नहीं रहता।
जिस प्रकार आग की एक चिंगारी कुछ ही समय में कपास की लाखों गांठों को जला सकती है।
इसी प्रकार मनुष्य दूसरों के धन और सौन्दर्य के साथ सहवास करके जो दुर्गुण और पाप अर्जित करता है, उससे वह सुख, पुण्य और शान्ति रूपी बहुमूल्य पदार्थ खो देता है। (506)