सभी धर्म गुरु-चेतन लोगों के मार्ग की सुख-शांति की कामना करते हैं। सभी पंथ और धर्म गुरु के मार्ग के अधीन हैं और उसके अनुरूप कार्य करते हैं
सभी देवता और उनकी पवित्र नदियाँ सतगुरु जी की शरण के लिए तरसती हैं। वेदों के रचयिता ब्रह्मा भी गुरु के वचनों में अपना मन लगाने के लिए तरसते हैं।
सभी धर्म नाम सिमरन के साधक हैं। गुरु की कृपा से मनुष्य को संसार के सभी खजाने मिल जाते हैं, जैसे मछली को जीवनदायी जल मिल जाता है।
जिस प्रकार योगीजन निरन्तर योगाभ्यास में लीन रहते हैं तथा सांसारिक व्यक्ति रसास्वादन में लीन रहता है, उसी प्रकार समर्पित सिखजन भी नाम सिमरन के माध्यम से उच्च आध्यात्मिक अवस्था में लीन रहते हैं तथा स्वयं को अविचलित रखते हैं।